क्या दिमाग बहुत परिवर्तनशील है? न्यूरोप्लास्टिसिटी हमारे दिमाग को कैसे चेंज करता है? क्या हमारे ब्रेन को सही तरीके से काम करने के लिए न्यूरोप्लास्टिसिटी की जरूरत है? न्यूरोप्लास्टिसिटी के फायदे क्या है और ये कैसे काम करता है? हमारा ब्रेन, हमारे बॉडी के सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होने के साथ-साथ पूरे बॉडी का सेंटर कनेक्शन भी है। जिसमें कई असीमित विचार इन्क्लूड होते है। ब्रेन मे कई न्यूरॉन्स होते है, जो ब्रेन को सारे कार्य करने के लिए डायरेक्शन देते है और ये न्यूरॉन्स न्यूरोप्लास्टिसिटी नामक प्रक्रिया के द्वारा से ब्रेन के कार्य को आवश्यकता अनुसार लगातार बदलते रहते है। न्यूरोप्लास्टिसिटी के कारण ही हम एक नार्मल लाइफ के काम करने मे सक्षम होते है जैसे सीखना, विकास करना और मेमोरी बनाना आदि।

       न्यूरोप्लास्टिसिटी क्या है इसके बारे में हमने पिछले आर्टिकल में डिस्कस किया है। आज के कुछ सीखे आर्टिकल में हम बात करेंगे न्यूरोप्लास्टिसिटी के फायदे क्या है? लेकिन फायदे जानने से पहले हम समझ लेते हैं कि न्यूरोप्लास्टिसिटी काम कैसे करता है? 

ब्रेनप्लास्टिसिटी कैसे काम करता है?

 जैसा कि आपको पता ही है कि ब्रेन में न्यूरॉन्स के विशाल नेटवर्क होते हैं और प्रत्येक न्यूरॉन्स की संरचना व कार्य कई और न्यूरॉन्स से कनेक्ट होकर पूरे होते हैं। यहां तक की सरल से सरल कार्य करने के लिए भी लाखों न्यूरॉन्स आवश्यक रूप से जुड़े होते हैं। ये आपको अलग-अलग कार्यों को करने की अनुमति देने के लिए  विशिष्ट अनुक्रमों में जुड़े रहते हैं। हालांकि नये अनुभव, एनवायरनमेंट में बदलाव और ब्रेन की चोट आदि से इनके संरचना और कार्य में बदलाव कर ये न्यूरॉन्स अपने आप को फिर से पुनर्गठित करते हैं।

      जैसे कि यदि कभी ब्रेन में चोट लगती है, चोट लगे हिस्से वाले पार्ट के न्यूरॉन्स काम करना बंद कर देते हैं, तब न्यूरोप्लास्टिसिटी के द्वारा ब्रेन के दूसरे न्यूरॉन्स उस कार्य को पूरा करते हैं।

न्यूरोप्लास्टिसिटी कितना फायदेमंद है? 

न्यूरोप्लास्टिकिटी हमारे हेल्दी लाइफ के लिए हर तरह से फायदेमंद होता है। हम सभी के ब्रेन में न्यूरोप्लास्टिसिटी के कार्य करने की क्षमता अलग-अलग होते हैं, इसी के कारण लोगों में डिफरेंस होता है। स्ट्रांग न्यूरोप्लास्टिसिटी हमारे विचारों और दिमाग के काम करने का बेहतर तरीका देता है।  आइए जानते है न्यूरोप्लास्टिसिटी के कुछ विशेष फायदे के बारे में : 

नई चीजें सीखने में मदद करता है : 

हर बार जब आप एक नया स्किल सीखते हैं, तो इसके लिए आपके पास कई न्यूरॉन्स होते हैं। जो हमारे पुराने कार्य और व्यक्तिगत अनुभव के उपयोग के अनुसार पुनर्गठित होते हैं। इससे आसानी से नई चीज़ें सीखने में मदद मिलती है। सीखने की प्रक्रिया के दौरान किसी भी कार्य की गतिविधि को दोहराया जाता है, जिससे ब्रेन के न्यूरॉन्स में स्ट्रांग कनेक्शन बनता है। 

डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है : 

चिंता और डिप्रेशन जैसी स्थितियों में अक्सर न्यूरोप्लास्टिसिटी की कमी देखी गई है। रिसर्च से पता चलता है कि डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों के प्लास्टिसिटी की समस्याओं में प्रॉब्लम देखी जाती है। हालांकि ब्रेन में कई एंटीडिप्रेसेंट भी काम करते हैं, जो न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देते हैं।  न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ाकर डिप्रेशन को आसानी से कम किया जा सकता है।

सोचने की क्षमता बढ़ाता है : 

 न्यूरोप्लास्टिसिटी जरूरत के अनुसार  न्यूरॉन्स के बीच नए कनेक्शन बनाने और ब्रेन की नई सेल्स को क्रिएट  करने में मदद करते हैं। जिससे भविष्य में ये मानसिक गतिविधियाँ दिमागी शक्ति को बढ़ाने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। इससे पॉजिटिव सोच की क्षमता में बढ़ावा मिलता है।

स्ट्रोक और अन्य दर्दनाक ब्रेन की चोट से उबरने में सहायता करता है : 

एक्सीडेंट से सर पर के लगने वाली गहरी चोट या ब्रेन ट्यूमर जैसे रोग से पीड़ित होने के बाद, न्यूरोप्लास्टिसिटी ही ब्रेन के कार्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करते है। स्ट्रांग न्यूरोप्लास्टिसिटी स्ट्रोक के रोगियों को भी नॉर्मल कंडीशन में लाने में मदद करता हैं। 

 याददाश्त बढ़ाता है : 

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे दिमाग के न्यूरॉन्स नेटवर्क स्थिर और कठोर हो जाते हैं और साथ ही दिमाग की एडजस्ट करने और बदलने की प्रक्रिया भी रेगुलर चलते रहते हैं। यदि न्यूरोप्लास्टिसिटी अच्छी तरीके से कार्य करते है, तो हमारे याददाश्त अच्छे रहते है।

        मेडिकल थेरेपी में भी इसके कई फायदे हैं जैसे कि:

ब्रेन की चोट या नर्वस सिस्टम के अच्छे रहने के लिए न्यूरोप्लास्टिसिटी का ज्ञान मरीज को जल्दी रिकवर करने मत कर सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन कैंसर और मेमोरी लॉस से रिकवरी भी न्यूरोप्लास्टिक बिहेवियर से रिलेटेड होता है। 

ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD), ऑटिज्म और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)  न्यूरोप्लास्टिसिटी के सिद्धांतों पर ही आधारित होता है।

 न्यूरोप्लास्टिसिटी के नेगेटिव इफेक्ट 

      अब तक हमने जाना कि न्यूरोप्लास्टिसिटी याददास्त और सोचने की क्षमता को बढ़ाने के साथ स्ट्रोक, चोट और जन्म संबंधी मेंटल प्रॉब्लम , ऑटिज्म में सुधार, एडीडी और एडीएचडी,  ब्रेन कैंसर, ब्रेन टयूमर,  डिप्रेशन  और चिंता से बाहर निकालने में सक्षम है। हालांकि न्यूरोप्लास्टिसिटी की यही विशेषता अधिक होने से ब्रेन के न्यूरॉन्स गलत तरीके से काम करने लगते हैं, इस कंडीशन में ये अपने प्रभाव को नेगेटिव करते है। आइए जानने इनके नेगेटिव इफ़ेक्ट के बारे में : 

बुरी आदतें

आप अपने डेली रूटीन में बार-बार क्या करते हैं। इसका आपके ब्रेन में अच्छे के साथ बुरा कनेक्शन भी बनता है। जैसे कि शराब पीना, अश्लील हरकत करना, बुरी लत को पकड़ना आदि आपके मेंटल कंडीशन के व्यवहार से न्यूरॉन्स को गलत डायरेक्शन में कार्य करने को प्रेरित करते हैं। 

 पागलपन 

 जब आपके न्यूरोप्लास्टिसिटी बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है, तब कार्य करने के लिए एक्साइटमेंट भी बढ़ जाता है और ज़ब ये लगातार होता है तब धीरे-धीरे न्यूरोनल पैटर्न को इफ़ेक्ट करने लगता है। जिससे एक ही चीज के प्रति दिमाग़ होने लगता है। जिसे सामान्य भाषा में जुनूनी कहा जा सकता है। जो ज्यादा बढ़ने की स्थिति में पागलपन की कंडीशन ला सकता है।

 दिमागी गिरावट

 बहुत सारे कंडीशन में हमारा ब्रेन सही तरीके से काम नहीं करता है, अधिकतर ये कंडीशन बूढ़े होने पर होता है, जो एक नेगेटिव न्यूरोप्लास्टिक परिवर्तन है, क्योंकि जैसे-जैसे लोग उम्रदराज़ होते हैं, वे अनजाने में अपने दिमाग़ उपयोग करना कम कर देते है, जिससे धीरे-धीरे उनका दिमागी गिरावट शुरू होने लगता है। 

 मानसिक बिमारी

 ब्रेन प्लास्टिसिटी के नेगेटिव इफेक्ट के कारण  बहुत से मानसिक रोग सिज़ोफ्रेनिया, डिप्रेशन,  चिंता,  जुनूनी-पागलपन और फ़ोबिक व्यवहार, मिर्गी आदि अधिक न्यूरोप्लास्टिक बदलाव के कारण होते हैं।

       तो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हमनें आपको न्यूरोप्लास्टिसिटी के फायदे क्या है और इसके नेगेटिव इफ़ेक्ट के बारे में बताया है। यदि ये आर्टिकल आपको पसंद आया हो, तो इसे शेयर करें और न्यूरोप्लास्टिसिटी के बारे में और जानने के कमेंट करें। 

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