आज के टाइम डायबिटीज एक आम बीमारी बन चुकी है, इसलिए यदि कभी किसी के रिपोर्ट में प्री-डायबिटिक मेन्सन होता है, तो ऐसे लोग बहुत जल्दी पेनिक हो जाते है, क्योंकि तब उन्हें लगता है कि अब कुछ समय बाद वो भी डायबिटीज के पेसेंट बन जायेंगे। हालांकि ऐसा होना हर केस में पॉसिबल नहीं होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्री-डायबिटिक वाले 100 में से 80 लोग अपने खान-पान और रहन-सहन में थोड़ा बदलाव कर आसानी से सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि आपको पता है कि प्री-डायबिटिक में भी लोगों के खून में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन ये प्री-डायबिटिक क्या होता है?और ये डायबिटीज से अलग कैसे है? आज के कुछ सीखें आर्टिकल में हम इसी विषय पर डिटेल में चर्चा करेंगे।

प्री-डायबिटीज क्या है?

प्री-डायबिटीज को डायबिटीज का बॉर्डर लाइन कहा जाता हैं, जिसका मतलब है कि बॉडी में ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से थोड़ा ज्यादा है। हालांकि प्री-डायबिटीज से समय रहते सचेत हो जाये, डायबिटीज से बचे रह सकते हैं। सामान्य तरीके से इस प्री-डायबिटीज को समझ पाना मुश्किल होता है, इसका कन्फर्मेशन केवल ब्लड शुगर टेस्ट से ही पॉसिबल होता है। एक हुमन बॉडी में नार्मल ब्लड ग्लूकोज का रेंज 70 mg/dL से 100 mg/dL के बीच होता है, लेकिन ब्लड शुगर का प्री-डायबिटीज लेवल 100 mg/dL से 125 mg/dL के बीच होता है। इसे WHO के द्वारा एक मेडिकल क्लासिफिकेशन के तहत प्री-डायबिटीज ICD-10 कोड R73.03 में लिस्टेड किया गया है।

प्री-डायबिटीज के लक्षण और कारण : 

हालांकि प्री-डायबिटीज के दौरान पेसेंट को ऐसे कोई स्पेशल सिम्पटम्स नजर नहीं आते है, लेकिन फिर भी कुछ डायबिटीज के समान लक्षणों से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। आइये जानते है, इन सिम्पटम्स के बारे में डिटेल में :

  • जेनेटिक : यदि ब्लड रिलेशन में पहले से किसी डायबिटीज है,  तो परिवार के और मेंबर को भी डायबिटीज होने की आशंका रहती है। हालांकि ये किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 45 वर्ष के बाद इसकी पॉसिबिलिटी ज्‍यादा होती है। इसलिए 45 वर्ष के बाद एक बार रूटीन चेकअप में ब्लड शुगर लेवल की जांच जरूर कराये।
  • प्री-डायबिटीज में भी डायबिटीज जैसे लक्षण : जैसा कि हमने पहले भी बताया है, प्री-डायबिटीज के कोई विशेष लक्षण नहीं होते, बल्कि इसके ज्यादातर लक्षण डायबिटीज से मिलते-जुलते है जैसे कि ज्‍यादा प्‍यास लगना, बहुत जल्दी पेशाब आना, हर वक़्त थकान, कमजोरी महसूस होना आदि।
  • नींद नहीं आना : यदि आप लंबे टाइम से अनिद्रा की प्रॉब्लम झेल रहे है, तब भी आपको ब्लड शुगर टेस्ट करा लेना चाहिए, क्योंकि छह घंटे से कम की नींद लेने वाले या सोने में परेशानी फेस करने वाले लोगों में प्री-डायबिटीज की प्रॉब्लम ज्यादा देखी गई हैं। बता दें कि नींद की कमी से हार्मोन बैलेंस ठीक से नहीं होता है, जिससे ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है।
  • हेल्थ प्रॉब्लम : यदि आपके साथ हाई बेड कोलेस्‍ट्रॉल और मोटापे जैसी कोई हेल्थ इशू है, तो ये बॉडी में ब्‍लड ग्लूकोज का लेवल बढाने का काम करता है। इसके अलावा हार्ट से रिलेटेड कोई प्रॉब्लम हो, तब भी प्री-डायबिटीज होने की पूरी पॉसिबिलिटी होती है।
  • स्किन स्पॉट्स : जिन लोगों में प्री-डायबिटीज की प्रॉब्लम देखी गईं है, उन्हें कई स्किन रिलेटेड परेशानी भी होती है। जिसके अंतर्गत उनके स्किन पर जगह-जगह डार्क और ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं।

प्री-डायबिटीज को कैसे रोके?

प्री-डायबिटीज एक ऐसा स्टेज है, जिसे जानने के बाद भी आप रेगुलर मेडिसिन और अपने लाइफस्टाइल में पॉजिटिव चेंजेस करके डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी के प्रकोप से बच सकते है, लेकिन ऐसा क्या करें कि आप प्री-डायबिटीज के स्टेज तक आ ही ना पाये। आइये अब जानेंगे प्री-डायबिटीज से बचने के उपाय के बारे में :

  • स्मोकिंग क्विट करें : अगर आपके साथ स्मोकिंग की हैबिट है, तो इसे पूरी तरह क्विट कर दें, क्योंकि स्मोकिंग व्यक्ति के शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ा देता है।
  • वेट कण्ट्रोल में रखें : जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है मोटापा और बेड कोलेस्ट्रॉल की वजह से भी प्री-डायबिटीज होता है । इसलिए यदि वेट को हमेशा मेंटेन रखते है, तो प्री-डायबिटीज की कंडीशन आपके साथ नहीं आएगी।
  • हेल्दी खाना खाये : आपका खानपान हेल्दी होगा, तो आपको प्री-डायबिटीज क्या कोई भी बीमारी नहीं होगी।हेल्दी खाने के लिए अपने खाने से नमक और चीनी की मात्रा कम कर दें क्योंकि ज्यादा नमक ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है और ज्यादा चीनी ब्लड शुगर को बढ़ाता है। कोशिश करें कि डिब्बा बंद प्रोडक्ट का यूज़ ना करें।   कैल्शियम, पोटेशियम, मैगनिशियम और फाइबर से भरपूर चीजों को सेवन करें।
  • रेगुलर एक्सरसाइज करें : प्री-डायबिटीज से बचाव के लिए रेगुलर एक्‍सरसाइज भी बहुत जरुरी है। अगर हफ्ते के पूरे दिन नहीं तो कम से कम पांच दिन 30 मिनट तक एक्‍सरसाइज जरूर करें। आप टहलने से एक्सरसाइज की शुरुआत कर सकते है।
  • तनाव से दूरी बनाये :  तनाव हमारे बॉडी को फिजिकली और मेंटली दोनों साइड से इफ़ेक्ट करता है। हालांकि किसी के लाइफ से तनाव पूरी तरह से खत्म तो नहीं होता है, लेकिन बेवजह के स्ट्रेस लेना छोड़ दें, क्योंकि आपका ज्यादा स्ट्रेस भी प्री-डायबिटीज का कारण बन सकता है।

प्री-डायबिटीज होने पर क्या होता है?

प्री-डायबिटीज होने पर सबसे बड़ा खतरा टाइप 2 डायबिटीज के होने का होता है, लेकिन इसकी वजह से कई और हेल्थ कॉम्प्लिकेशन जैसे हार्ट डिसीस, हार्ट स्ट्रोक या किडनी फेलियर आदि भी हो सकते है, इसलिए प्री-डायबिटीज का समय रहते निदान जरूर करना चाहिए।

क्या प्री-डायबिटीज ठीक हो सकता है? 

जी हाँ, प्री-डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। बता दें कि प्री-डायबिटीज से टाइप 2 डायबिटीज होने में लगभग 10 साल लग सकता है, जबकि  प्री-डायबिटीज से पूरी तरह ठीक होने में ज्यादा से ज्यादा 3 साल लगते है। 

प्री-डायबिटीज कैसे ठीक होता है?

बेहतर खान-पान से ब्लड में ग्लूकोज का लेवल पहले की तरह सामान्य हो सकता है। प्री-डायबिटीज वाले लोगों को हमेशा से ब्लड प्रेशर,  कोलेस्ट्रॉल और लिपिड के लेवल को कण्ट्रोल में रखना चाहिए। साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से भी बचना चाहिए। कई स्टडी के अनुसार वेट मेंटेन रखना भी इससे निजात दिलाने का कारगर उपाय है। हर भोजन में हाई फाइबर और लो फैट वाले अनाज ही ले। ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों और मौसमी फल का सेवन करें, ध्यान रहे कि एक बार ज्यादा मीठा फल खाने से बचे। कोल्ड्रिंक्स और एडेड शुगर वाले प्रोडक्ट को पूरी तरह से अवॉइड करें। भरपूर पानी पियें, पूरी नींद ले, एक साथ ज्यादा खाने से बचे और खाने के बाद 30 मिनट जरूर टहलें। इस तरह के लाइफस्टाइल को अपनाकर आप जल्द ही प्री-डायबिटीज को मात दे सकते है।

HbA1c परीक्षण क्या है और इसे कब करवाना चाहिए?

HbA1c एक ब्लड टेस्ट है, जिसका यूज़ डायबिटीज वाले लोगों के लिए किया जाता है। इसे हीमोग्लोबिन A1c, ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये ग्लूकोज और हीमोग्लोबिन को एक साथ दर्शाता है। बता दे कि हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में रहने वाला प्रोटीन पूरे बॉडी में ऑक्सीजन ले जाता है। इसलिए इससे बनने वाले HbA1c की मात्रा ग्लूकोज की मात्रा से रिलेटेड होता है। ये HbA1c लास्ट 3 मंथ के ब्लड शुगर रिपोर्ट को बताता है। यदि आप डायबिटीज के लिए कराये गए ब्लड शुगर रिपोर्ट से कंफ्यूज है, तो आपको HbA1c ब्लड टेस्ट कराना चाहिए, इससे आपके बॉडी के शुगर लेवल सही आकड़ा आपको मिल जाता है और आप कन्फर्म हो जाते है कि आपको डायबिटीज, प्री-डायबिटीज है या नहीं।

तो दोस्तों, आज के कुछ सीखें आर्टिकल में हमने प्री-डायबिटिक क्या होता है? और इससे रिलेटेड बहुत सी जरूरी जानकारी शेयर की है। यदि अब भी आपको प्री-डायबिटिक से रिलेटेड और कोई जानकारी चाहिए हो, तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताये। साथ ही यदि ये आर्टिकल आपके लिए यूजफुल हो, तो इसे अपने सोशल प्रोफाइल पर शेयर करें।

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