मानव ब्रेन की मेमोरी के अंदर बहुत सी चीज़ों का कौशल होता है, जैसे खान-पान, सीखना, खेलना, रहना आदि और ये  न्यूरोप्लास्टीसिटी (Neuroplasticity)  के कारण होता है। ये ब्रेन को ऐसी ताकत प्रदान करता है जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी ज़िन्दगी के लिए बेहतर तरीके से काम कर सके। मानव ब्रेन के सोच, सीखने का विस्तार और ब्रेन की चोट को ठीक करने के पीछे रिसर्चकर्ता द्वारा न्यूरोप्लास्टिसिटी के कांसेप्ट को लाया गया है। न्यूरोप्लास्टिसिटी को ब्रेन प्लास्टिसिटी भी कहा जाता है। जैसा कि हम जानते हैं प्लास्टिसिटी का मतलब ही होता है फ्लैक्सिबल (परिवर्तन), यानि कि  एनवायरनमेंट, सोच और व्यवहार आदि के द्वारा ब्रेन में होने वाले चेंजेस को इसके अंदर लिया गया है। जैसे कि हम क्या काम कर सकते हैं? क्या सोचते हैं? आदि जो कि हमारे उम्र और अनुभवों के आधार पर बदल जाता है। ब्रेन के इंटरनल पार्ट्स में क्या चल रहा है, इसका बेहतर एक्सप्लेनेशन को न्यूरोप्लास्टिसिटी से ही समझ सकते हैं।

           आज के कुछ सीखे के इस आर्टिकल में हम न्यूरोप्लास्टिसिटी क्या होता है? इससे जुड़ी जरूरी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं। तो आइए जानते हैं :

 न्यूरोप्लास्टिसिटी क्या है?

      जैसा कि आपको पता है कि हमारे ब्रेन में कई न्यूरॉन्स होते है, जो एक दूसरे से बंधे होते हैं और ये एनवायरनमेंट, सोच और व्यवहार के अनुसार अपने कनेक्शन को चेंज करते रहते हैं। न्यूरों के कनेक्शन को बदलने की इस क्षमता को ही न्यूरोप्लास्टिकिटी कहा जाता है।

        ये ब्रेन की स्ट्रक्चर और काम को पुनर्गठित करने के लिए बायोलॉजिकल , केमिकल और फिजिकल क्षमता को दर्शाता है। सामान्य भाषा में कहें तो ये ब्रेन के दिमागी पैटर्न को बनाए रखने में मदद करता है।

ब्रेन के सभी न्यूरॉन्स के कार्य अलग-अलग होते हैं और यदि किसी चोट के दौरान कोई न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त होता है या बच्चों में कोई न्यूरॉन्स अच्छे से ग्रोथ नहीं हो पाता है, तब ऐसी स्थिति में ब्रेन अच्छी तरह से काम नहीं कर पाता है। इस दौरान ब्रेन प्लास्टिसिटी के द्वारा चोट से उबरने के लिए और बच्चों की सोच में ग्रोथ करने के लिए ब्रेन के न्यूरॉन्स को री-वायर या री-रूट किया जाता है।

कितने प्रकार के होते हैं न्यूरोप्लास्टिसिटी

     न्यूरोप्लास्टिसिटी को मुख्य रूप से दो प्रकार में डिवाइड किया गया है, जिसे फंक्शनल और स्ट्रक्चरल प्लास्टिसिटी के नाम से जाना जाता है।

फंक्शनल/ कार्यात्मक प्लास्टिसिटी – इसमें ब्रेन में चोट लगने जैसे एक्सीडेंट या स्ट्रोक के बाद ब्रेन के क्षतिग्रस्त भाग के कार्य को ब्रेन के अन्य भाग के कार्य की ओर ट्रांसफर किया जाता है। इससे ब्रेन में जो नर्व एक्टिवेट नहीं होते हैं, या ऐसे नर्व जो दूसरे काम के लिए उपयोग किए जाते हैं। वो ब्रेन में चोट लगने से इफेक्टेड भाग के कार्य को पूरा करने लगते हैं। ब्रेन में ये कार्य करने की स्पीड पहले कुछ हफ्तों में तेज होती है बाद में फिर धीरे हो जाती हैं।

      इस प्रकार ब्रेन के क्षतिग्रस्त हिस्से के कार्य को पूरा करने के लिए नए लिंक और नए नर्वस पार्ट बन जाते हैं।

 स्ट्रक्चरल/ संरचनात्मक प्लास्टिसिटी –  स्ट्रक्चरल न्यूरोप्लास्टिकिटी ब्रेन के फिजिकल स्ट्रक्चर को बदलने की क्षमता है, जिसमें सिंगल न्यूरॉन्स को दोबारा बदलना शामिल होता है। स्ट्रक्चर प्लास्टिसिटी को ऐसे समझ सकते हैं : 

     ज़ब प्रत्येक न्यूरॉन मैच्योर होता है, तब ये मल्टीपल ब्रांचेस बनाने लगता है। इससे न्यूरॉन से न्यूरॉन तक इंटरनल सिनैप्स की संख्या बढ़ने लगती है।

     एक बच्चे के जन्म के समय, ब्रेन के सेरेब्रल कॉर्टेक्स में लगभग न्यूरॉन  2,500 सिनैप्स होते हैं और बच्चे के 3 साल तक के होते इन सिनैप्स की संख्या लगभग 15,000 सिनेप्स प्रति न्यूरॉन हो जाती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ब्रेन की कई सिनैप्स कलेक्शन का उपयोग नहीं होने से, उन्हें ब्रेन द्वारा उन्हें हटा दिया जाता है और कुछ न्यूरॉन का उपयोग बहुत ज्यादा होने से उन्हें मजबूत किया जाता है और यही प्रोसेस लाइफ टाइम तक चलती है।

किस ऐज में होता है न्यूरोप्लास्टिसिटी 

      न्यूरोप्लास्टिसिटी का सीधा संबंध किसी मेमोरी को याद रखने से हैं, जिसमें मुख्य रुप से मानसिक स्थिति और सीखने की कला में बदलाव शामिल है। ये स्ट्रोक, जन्म असामान्यताओं से ठीक करने, ऑटिज़्म, एडीडी, सीखने की अक्षमता के इलाज में भी फायदेमंद है।  हालांकि इसकी उम्र लाइफटाइम रहती है, लेकिन इसकी क्षमता सबसे अधिक बच्चों में होती है क्योंकि न्यूरोप्लास्टीसिटी बचपन में सबसे ज़्यादा तेज गति से काम करता है। इसी वजह से बच्चों में बहुत कुछ जानने की ललक होती है। है। एक 3 साल के बच्चे का ब्रेन एक एडल्ट ब्रेन का  80% हो जाता है। 

      ऐज के बढ़ने के साथ-साथ न्यूरोप्लास्टिसिटी कार्य करने की क्षमता कभी-कभी कम होने लगती है, इसी वजह से बुजुर्ग व्यक्तियों को कुछ भी याद रखने में मुश्किल होता है। हालांकि एक एडल्ट में ब्रेन के न्यूरॉन्स का बदलाव किसी स्पेशल कंडीशन जैसे एक्सीडेंट या चोट लगने या अन्य किसी रीजन से हो सकता है।

ब्रेन प्लास्टिसिटी को इफ़ेक्ट करने वाले फेक्टर 

मानव का दिमाग कभी भी एडजस्ट करना और बदलना की प्रक्रिया को बंद नहीं करता है, लेकिन हमारे ब्रेन का नर्वस सिस्टम कई फेक्टर से इफ़ेक्ट जरूर होते है, जिसके कारण इनके कार्य करने की गति में बदलाव होने लगते है। ये फेक्टर है :

लाइफस्टाइल : हम जिस एनवायरनमेंट में रहते हैं और जैसा व्यवहार करते हैं। उसी लाइफ़स्टाइल को हमेशा अपनाना चाहते हैं। ज़ब न्यूरोप्लास्टिसिटी स्ट्रांग होता है तब हम आसानी से नए एनवायरनमेंट में एडजस्ट हो जाते हैं, लेकिन जब न्यूरोप्लास्टिसिटी कमजोर होता है, तब हम नये एनवायरनमेंट और व्यवहार के साथ में एडजस्ट नहीं कर पाते हैं। 

तनाव स्तर : यदि हम बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं, तब ऐसी स्थिति में ब्रेन के सभी न्यूरॉन एक अपने काम सही तरीके से नहीं करते हैं। जिससे न्यूरोप्लास्टिसिटी कमजोर होने लगता है।

दैनिक आदतें : यदि हम अच्छी दैनिक आदतें भी अपनाते हैं, तब हमारे न्यूरोप्लास्टिसिटी पॉजिटिव डायरेक्शन में काम करते हैं। जैसे यदि हम किसी चीज के लिए रेगुलर प्रैक्टिस करते हैं, तो ये हमारे ब्रेन प्लास्टिसिटी को बढ़ावा देते हैं।

        तो दोस्तों, आज के कुछ सीखें के इस आर्टिकल में हमने न्यूरोप्लास्टिसिटी क्या होता है? इससे संबंधित जानकारी को विस्तार से बताया है। उम्मीद करते हैं आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि इससे संबंधित और भी कुछ जानकारी को जानना चाहते हैं, तो कमेंट करें और आर्टिकल को शेयर करें। 

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न्यूरोप्लास्टिसिटी के फायदे क्या है? - कुछ सीखे · 02/02/2023 at 12:49 pm

[…]        न्यूरोप्लास्टिसिटी क्या है इसके बारे में हमने पिछले आर्टिकल में डिस्कस किया है। आज के कुछ सीखे आर्टिकल में हम बात करेंगे न्यूरोप्लास्टिसिटी के फायदे क्या है? लेकिन फायदे जानने से पहले हम समझ लेते हैं कि न्यूरोप्लास्टिसिटी काम कैसे करता है?  […]

न्यूरोप्लास्टिसिटी थैरेपी कैसे करें? - कुछ सीखे · 03/02/2023 at 5:20 pm

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