पुलिस की नौकरी ज्वाइन करने के लिए रिटन और फिजिकल एग्जाम देने के बाद कठिन मेडिकल टेस्ट के दौर से भी गुजारना पड़ता है। केंद्र व राज्य के सभी पुलिस और सैन्य बलों के लिए भर्ती मेडिकल टेस्ट लगभग एक समान होते हैं। इस बार “कुछ सीखे” के लेख में हम आपको पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट कैसे होता है? इसके के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

 भर्ती मेडिकल टेस्ट कैसे होता है?

     केंद्र और राज्य सरकार के अंतर्गत मंत्रालय व  कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी, बैंक कर्मचारी , शिक्षक, पुलिस व सैन्य बल या अन्य सरकारी विभागों में नियुक्ति के पूर्व उम्मीदवारों को मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया को पूर्ण करना होता है।

    पुलिस व अन्य सैन्य बलों वाले विभागों को छोड़कर सभी सरकारी विभागों में मेडिकल टेस्ट के लिए नजदीकी जिला चिकित्सालय से मेडिकल जांच कराने के उपरांत मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को संबंधित विभाग में जमा किया जाता है। मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट में जांच की गई सभी रिपोर्ट जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा योग्य बताये जाने पर ही उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

      पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट या अन्य सैन्य बलों जैसे आर्मी, नेवी, मिलिट्री, बीएसएफ, सीआईएसएफ आदि विभाग में नियुक्ति के लिए मेडिकल टेस्ट एक से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा किया जाता हैं। इन नौकरियों के लिए उम्मीदवार को जिला चिकित्सालय जाने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि इन विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा उम्मीदवार के शरीर के अंगों के अंदर और बाहरी बनावट की अच्छे से जांच की जाती है। जांच के बाद आई रिपोर्ट को देखकर उपस्थित डॉक्टरों की टीम द्वारा ही उम्मीदवार को पुलिस या अन्य सैन्य बलो की नौकरी के लिए योग्य अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।

सरकारी नौकरी में मेडिकल टेस्ट क्यों होते हैं?

    सरकारी नौकरी मेडिकल टेस्ट इसलिए होता है,  क्योंकि एक बार सरकारी नौकरी मिलने के बाद उम्मीदवार सरकार के अधीन हो जाते हैं। ऐसे में सरकार उन पर एक बड़ी जिम्मेदारी सौपतें हैं। यदि वो मेडिकल टेस्ट में अच्छी तरह फिट होते हैं, तो सरकार को अपने कर्मचारी पर भरोसा होता है कि वो दिए गए कार्यभार को पूर्ण करने के लिए सक्षम है। 

किस सरकारी नौकरी में मेडिकल टेस्ट होता है?

     भारत सरकार के द्वारा घोषित प्रत्येक सरकारी नौकरी में मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया अनिवार्य है। विभागों में नियुक्ति के दौरान मेडिकल टेस्ट मे जिला चिकित्सालय से सामान्य जांच उपरांत प्राप्त फिटनेस सर्टिफिकेट देना होता है, जबकि पुलिस या डिफेंस में भर्ती के लिए अलग-अलग तरीकों से मेडिकल टेस्ट कराया जाता है। 

किस सरकारी नौकरी मेडिकल टेस्ट नहीं होता है,उसकी लिस्ट?

    जैसा कि ऊपर लेख में हमने बता दिया है कि प्रत्येक सरकारी नौकरी के लिए मेडिकल टेस्ट के अनिवार्यता है यानि ऐसी कोई भी सरकारी नौकरी नहीं है जहां मेडिकल टेस्ट नहीं होता है। 

पुलिस मेडिकल टेस्ट में क्या-क्या चेक होता है?

    पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट के अंतर्गत फ्लैट पैर यानि सपाट तलवा, पैर धनुषाकार, शरीर के हड्डियों में असमानता, जोड़ों में असमानता, उभरे और मजबूत मसल्स, अंगूठे में हेलिक्स, छाती अंदर की ओर ना हो, स्पष्ट सुनने की क्षमता, आंखों का अंधापन, रतौंधी या कलर ब्लाइंडनेस जैसी प्रॉब्लम ना हो, आंखों की दूर दृष्टि या निकट दृष्टि सामान्य होने संबंधी जांच की जाती है। प्राइवेट पार्ट्स के अंतर्गत लिंग परीक्षण, पेनिस, वेजिना जैसे बॉडी पार्ट्स की जांच की जाती है, ताकि भविष्य में कोई गंभीर बीमारी से उनका कार्य प्रभावित ना हो सके।

      इसके अलावा मेडिकल टेस्ट मे घुटनों में आपस का नहीं जुड़ना,  वजन और लम्बाई का रेसिओ (अनुपात ) उम्र के हिसाब से सही होना चाहिए। मेडिकल टेस्ट में शुगर, बीपी, एड्स, टीबी जैसे गंभीर बीमारियों की भी जांच की जाती है।

लड़को और लड़कियों के लिए पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट

     पुलिस या अन्य सैन्य बलों में नौकरी प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थियों के शरीर के संपूर्ण अंगों का निरीक्षण किया जाता है। लड़के हो या लड़की सम्पूर्ण शरीर के मेडिकल टेस्ट से दोनों को गुजरना पड़ता है। यहां हम जानेंगे लड़कों और लड़कियों में एक समान होने वाले मेडिकल टेस्ट के बारे में –

  • ब्रेन टेस्ट – सिर में पहले कभी गंभीर चोट ना आई हो, जिसके कारण मानसिक संतुलन पर कोई असर हुआ हो। ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी भी कभी ना हुआ हो।
  • कान का टेस्ट – कान अच्छी तरह से साफ होना चाहिए। कान के पर्दे पहले कभी फटे होने की शिकायत ना हो। उम्मीदवार के सुनने की क्षमता सही होनी चाहिए।
  • आंखों का टेस्ट – एक आंख से काना, आंखों में अंधापन की समस्या ना हो। दोनों आंखों की बिना चश्मे के सरकार द्वारा निर्धारित मानक अनुसार न्यूनतम और दूरदृष्टि होनी चाहिए। रतौंधी,कलर ब्लाइंडनेस की समस्या भी नहीं होनी चाहिए।
  • दांत का टेस्ट – दांतों में डायरिया या किसी प्रकार की सड़न जैसी बीमारी ना हो।
  • मुंह का टेस्ट – बोलने पर हकलाने या तूतलाने जैसी समस्या नहीं होनी चाहिए।
  • बॉडी टेस्ट – किसी प्रकार के विकलांगता शरीर में ना हो। ब्लड टेस्ट में एड्स, पाइल्स, हाइड्रोसील जैसे कुछ टेस्ट में नेगेटिव होना अनिवार्य है। शरीर के किसी भी अंग का एक्सीडेंट वगैरह के कारण टूट-फूट नहीं हुआ हो। शरीर की नसों में असमानता, सूजन या ज्यादातर दर्द की समस्या ना हो।
  • चेस्ट का टेस्ट – चेस्ट ना ज्यादा अंदर की ओर दबा हो और ना ज्यादा बाहर की ओर निकला हो।
  • स्किन टेस्ट – चर्म रोग या स्किन से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।
  • घुटनो का टेस्ट – घुटनों का चलते या दौड़ते समय आपस में नहीं टकराना चाहिए। ना ही खड़े होते समय एक दूसरे से जुड़ा होना चाहिए।
  • फिंगर या टो टेस्ट – फिंगर या टो यानि हाथ और पैरों की उंगलियों में कोई समस्या या कमी ना हो। हेलक्स रिजिड्स यानि पैरों के अंगूठे कठोरता असामान्य नहीं होनी चाहिए।
  • हार्ट बीट टेस्ट – अभ्यर्थी का हार्ट बीट नार्मल होनी चाहिए। हार्टबीट में कोई गंभीर बीमारी का संकेत नहीं मिलना चाहिए।
  • फ्लैट पैर – पैर में सपाट तलवे नहीं होने चाहिए।

पुलिस की नौकरी के लिए लड़कों व लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स का मेडिकल टेस्ट 

    पुलिस या अन्य सैन्य बलों की नौकरी में उम्मीदवारी करने वाले लड़के और लड़कियों के कॉमन शारीरिक जांच के अलावा उनके प्राइवेट पार्ट्स का भी मेडिकल टेस्ट किया जाता है।

लड़कों के प्राइवेट पार्ट में पेनिस टेस्ट ( लिंग परीक्षण ), एनल टेस्ट ( गुदा परीक्षण ), टेस्टिस ( अंडकोष ), टेस्टिकल साइज ( अंडकोष का छोटा बड़ा आकार ), टेस्टिकल्स एनलार्जमेंट ( अंडकोष वृद्धि ), टेस्टीकल्स विन्स स्वेलिंग ( अंडकोष के नसों में सूजन) पेनिस टेस्ट ( पेनिस परीक्षण) किया जाता हैं।

लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स के मेडिकल टेस्ट में वैजिनल टेस्ट (योनि परीक्षण), एनल टेस्ट ( गोदा परीक्षण ),  डिलीवरी या गर्भपात संबंधित जांच की जाती है। लड़कियों के लिए मेडिकल जांच के नियम लड़कों से थोड़ा अलग है, नियमानुसार –

  • लड़कियों की मेडिकल टेस्ट के सभी जांच एक जैसी होगी, लेकिन महिला कर्मचारी की उपस्थिति में होगी।
  • महिला गर्भवती है या नहीं इसका भी परीक्षण किया जाता है या अभ्यर्थी खुद ही इसकी जानकारी देते हैं।
  • लड़कियों का अल्ट्रासाउंड किया जाएगा,  जिसमें पेट और गर्भ की स्थिति की जांच की जाएगी। 

 एनडीए मेडिकल टेस्ट डिटेल्स इन हिंदी

     एनडीए यानि नेशनल डिफेंस एकेडमी के परीक्षा यूपीएससी यानि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा साल में दो बार कराई जाती है। एनडीए में चयनित होने वाले अभ्यर्थी को भी मेडिकल टेस्ट देना होता है। एनडीए की मेडिकल टेस्ट भी पुलिस या सेना के जवानों के मेडिकल टेस्ट की तरह ही होता है। एनडीए के सभी टेस्ट को अच्छे से पास करने के बाद ही अभ्यर्थी को सीधे लेफ्टिनेंट के पद पर ज्वानिंग दी जाती है। 

     तो दोस्तों, उम्मीद है आज के इस “कुछ सीखें” के लेख में आपको पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट कैसे होता है, इससे जुड़ी सारी जानकारी मिल गई है। अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों के जरूर शेयर करें और कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखें।

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टर्म प्लान क्या होता है? - कुछ सीखे · 27/08/2022 at 11:46 am

[…] पुलिस की नौकरी में मेडिकल टेस्ट | […]

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