आज के टाइम में कई कपल्स के पेरेंट्स बनने के लिए आईवीएफ फर्टिलिटी काफी हेल्पफुल साइंटिफिक प्रोसेस बनकर आया सामने आया है, लेकिन ये आईवीएफ सुनने में जितना आसान है, उतना ही ये कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस है। इसमें महिलाओं को फिजिकली और मेंटली रूप से काफी कुछ सहन करना पड़ता है। कई सारी दवाईयां के साथ कई तरह इंजेक्शन और साथ में बहुत सी सावधानियां के साथ आईवीएफ प्रेगनेंसी को कम्पलीट किया जाता है। हालांकि आईवीएफ के सक्सेसफुल होने के बाद कई कपल्स  पेरेंट्स बन चुके हैं, लेकिन आईवीएफ के जहां कुछ फायदे हैं वहां इसके कुछ साइड इफेक्ट भी है। आज के कुछ सीखें के आर्टिकल में हम आपको आईवीएफ के साइड इफेक्ट क्या है? इसकी पूरी जानकारी देंगे।

आईवीएफ क्यों करते हैं?

बहुत ऐसे कारण है जिनकी वजह से कपल का नेचुरल तरीके से पैरंट्स बनने का सफर पूरा नहीं हो पता है, तब आईवीएफ से उनकी मदद होती है। आईवीएफ एक असिस्टेंट रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है, जिसकी वजह से नेचुरल तरीके से इनफर्टिलिटी में सक्सेस नहीं हो पाने वाले कई कपल को पैरंट्स बनने का मौका मिला है।

एक कपल को आईवीएफ के लिए कब जाना चाहिए?

यदि कपल काफी लंबे समय से या लगभग 2 से 3 साल से लगातार नेचुरल प्रेगनेंसी के लिए ट्राई कर रहे हैं या कपल कम से कम 2 से 3 बार मिसकैरेज का सामना कर चुके हैं या फिर कई तरह प्रेगनेंसी प्रॉब्लम को फेस कर रहे हैं,  तब उन्हें आईवीएफ के लिए जाना चाहिए। ध्यान रहे कि आईवीएफ के लिए कपल की एज में मैक्सिमम 40 से 45 साल तक हो, तो बच्चे के हेल्थ के लिए ज्यादा अच्छा होगा।

आईवीएफ के फायदे और नुकसान क्या है?

अधिकतर मामलों में आईवीएफ को एक कपल, पैरंट्स बनने की आखिरी उम्मीद मानते हैं, ज्यादातर मामलों में ये सफल भी हुआ है, इसलिए अब लाखों कपल आईवीएफ पर ट्रस्ट करने लगे है। 

आईवीएफ कराने से एक कपल को क्या क्या फायदे है आइये बताते है –

1. प्रेगनेंसी के पॉसिबिलिटी अधिक होती है – आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान लैब में फर्टिलाइजेशन के लिए एक हेल्दी एग और एक्टिव स्पर्म का सेलेक्शन किया जाता है, इसलिए इस दौरान प्रेगनेंसी की पॉसिबिलिटी ज्यादा होती है।

2. हेल्दी शिशु होते है – आईवीएफ में फर्टिलिटी डॉक्टर महिला और पुरुष दोनों के डिटेल चेकअप करते हैं, जिसके बाद ही उनके लिए आईवीएफ प्रोसेस को शुरू करते हैं और इसमें पहले से पुरुष के सीमेन से ख़राब स्पर्म को बाहर कर दिया जाता है, इस वजह से हेल्दी शिशु होने की संभावना अधिक होती है।

3. मिसकैरेज का खतरा कम होता है – ज्यादातर प्रेगनेंसी के केस में स्पर्म को एग तक सही टाइम पर सही से पहुंच कर नेचुरल तरीके से फर्टिलाइज करने में मुश्किल होता है, लेकिन आईवीएफ में फर्टिलाइजेशन प्रोसेस बॉडी के बाहर ही हो जाता है, इसलिए मिसकैरेज का खतरा कम होता है।

4. डोनर स्पर्म और एग का यूज़ कर सकते है – यदि किसी केस में पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी बहुत ज्यादा खराब या बहुत कम है और महिलाओं की ओवरी हेल्दी एग को जनरेट नहीं कर पा रही है, तो ऐसी कंडीशन में आईवीएफ में डोनर स्पर्म और एग का यूज़ किया जा सकता है।

5. सेरोगेसी भी किया जा सकता है – यदि किसी वजह से आप  सेरोगेसी का यूज़ करना चाहते हैं, तो आईवीएफ इसके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है।

6. प्रेगनेंसी प्लान से कर सकते है – आईवीएफ में कपल अपनी मर्जी के अनुसार किसी भी सफल टाइम में प्रेगनेंसी कंसीव करने का फैसला ले सकते है।

आईवीएफ के साइड इफ़ेक्ट :

आईवीएफ के जहां इतने फायदे हैं, वहां इसके कुछ नुकसान भी है। यदि आप आईवीएफ कराने की सोच रहे हैं तो एक बार इससे होने वाले कुछ नुकसान को समझ लीजिये –

1. एग निकालते समय कॉम्प्लिकेशंस – महिलाओं के शरीर से एग को बाहर निकालना काफ़ी कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस है, इस दौरान थोड़ी सी भी गलती से महिलाओं के गर्भाशय को बड़ा नुकसान हो सकता है।

2. एक से अधिक बच्चों का जन्म – आईवीएफ के केस में एक एग और स्पर्म को फर्टिलाइजर करने के बजाय एक से अधिक एक और स्पर्म को फर्टिलाइज करने का प्रोसेस किया जाता है, जिससे एक से अधिक बच्चों के जन्म लेने के खतरा बन जाता है। इसलिए अधिकतर आईवीएफ के केसेस में अपने ट्विन्स को देखा होगा।

3. मेंटल डिस्टरबेंस – कई महिलाएं आईवीएफ कराने में शर्मिंदगी महसूस करती है, जिसकी वजह से वो अधिक तनाव महसूस करती है। इसके अलावा आईवीएफ से होने वाले बच्चों को लेकर भी वो काफी ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है। जिससे उनका हेल्थ डिस्टर्ब होता है।

4. हैवी वेजाइनल ब्लीडिंग – कई महिलाओं को आईवीएफ के साथ हैवी बनाना ब्लीडिंग का भी सामना करना पड़ता है।

5. आईवीएफ साइकिल के फेल होने के पॉसिबिलिटी – भ्रूण का गर्भाशय में सही तरीके से इप्लांट नहीं होने, अधिक उम्र, स्पर्म की खराब क्वालिटी, हार्मोनल इंबैलेंस जैसे कई वजहों से आईवीएफ कई बार एक साइकिल में सक्सेस नहीं हो पाता है यानि आईवीएफ फेल हो जाता है, जिसके बाद महिलाओं को फिर से आईवीएफ कराने के लिए  उन कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस से गुजरना होता है।

6.इंजेक्शन का गलत प्रभाव – आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को कई तरह के इंजेक्शन के साथ एचसीजी इंजेक्शन भी दिया जाता है। एचसीजी इंजेक्शन दिए जाने से कई महिलाओं में चिड़चिड़ापन,  बेस्ट को छूने पर दर्द, बहुत गर्मी लगने, सिरदर्द, उल्टी या आंखों का धुंधलापन जैसे शिकायत होती है

7. रेगुलर दस्त की समस्या बनी रहती है – इस दौरान महिलाओं को कई हैवी रोज की दवाइयां खानी पड़ती है जिसकी वजह से अधिकतर महिलाओं को पेट से रिलेटेड प्रॉब्लम जैसे लूज मोशन को भी झेलना पड़ता है। 

आईवीएफ फेल कब होता है?

कई महिलाएं आईवीएफ प्रोसेस कंप्लीट होने के बाद भी प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं, तब इस कंडीशन को आईवीएफ फेल माना जाता है। आइये अब उन रिजन्स को समझते हैं, जिनकी वजह से आईवीएफ फेल होता है :

1. खराब क्वालिटी वाले भ्रूण – भ्रूण की क्वालिटी खराब होने की वजह से कई बार भ्रूण, गर्भाशय में इंप्लांट होने में सक्षम नहीं हो पाता है। ऐसा तब होता है जब भ्रूण के आगे डेवलप होने की क्षमता खत्म हो जाती है।

2.  मोटापा – अक्सर देखा गया है कि जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है,  उनमें भ्रूण को सही से डेवलप होने में समय बहुत मुश्किल होता है। इसलिए आईवीएफ के लिए महिलाओं को फिट बॉडी रखना जरूरी होता है।

3. गर्भाशय से रिलेटेड प्रॉब्लम – यदि किसी महिला को गर्भाशय से रिलेटेड को कोई बीमारी या दिक्कत है, तो उन्हें उनका इलाज करवा लेना चाहिए। उसके बाद ही आईवीएफ के लिए ट्राई करना चाहिए, नहीं तो आईवीएफ फेल हो सकता है।

4. अधिक उम्र – जैसे-जैसे उम्र गुज़रते है वैसे-वैसे पुरुषों और महिलाओं में एग और स्पर्म की क्वालिटी में कमी होने लगती है। इसलिए अगर कपल आईवीएफ के लिए ट्राई करना चाहते हैं तो उन्हें 40 साल से पहले ही इसके बारे में सोच लेना चाहिए।

 तो दोस्तों, आज के इस कुछ सीखे आर्टिकल में हमने आपको बताया आईवीएफ के साइड इफ़ेक्ट क्या है? यदि आप आईवीएफ कराना चाहते है, तो इसके साइड इफ़ेक्ट पर पर थोड़ा विचार कर लीजिये। आईवीएफ से रिलेटेड और कोई जानकारी चाहिए,  तो कमेंट करें और यदि किसी कपल को आईवीएफ की जानकारी चाहिए,  तो उनके साथ इस आर्टिकल को जरूर शेयर करें।

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