आजकल महिलाओ के बॉडी में होने वाले कई बदलाव और बीमारियों से जहां एक तरफ कई महिलाओं को नार्मल प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पाने की प्रॉब्लम होने लगी है, वही दूसरी तरफ पुरुषों का लो स्पर्म काउंट जैसे प्रॉब्लम स्पर्म को एग के साथ फर्टिलाइज करने में दिक्कत करता है। महिलाओ और पुरुषों के अलग-अलग कॉम्प्लिकेशंस की वजह से नेचुरल तरीके से महिलाएं प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पाती है और कुछ महिलाएं बहुत मुश्किलों के बाद अगर प्रेगनेंसी कंसीव भी लेती है, तब कुछ समय बाद उनका मिसकैरेज हो जाता है। कई कपल इस तरह के कॉम्प्लिकेशन से परेशान होकर आईवीएफ की ओर बढ़ रहे हैं। आईवीएफ में महिलाओं के एग में पुरुष के स्पर्म को डायरेक्ट रूप से इंजेक्ट किया जाता है, जिससे एक कपल आसानी से माता-पिता बन पाते हैं। आज के कुछ सीखें के इस आर्टिकल में हम आईवीएफ कैसे होता है?, इसी की डिटेल जानकारी लेकर आये है।

आईवीएफ क्या होता है?

आईवीएफ का फुल फॉर्म इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है, इसके अंतर्गत महिलाओं के एग और पुरुषों के स्पर्म को बॉडी के बाहर लैब में एक ग्लास के पेट्री डिश फर्टिलाइज किया जाता है। एक बार जब एग और स्पर्म मिलकर इस तरह फर्टिलाइजेशन के प्रोसेस को कंप्लीट कर लेते हैं, तब एम्ब्रयो यानि कि भ्रूण को महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है, जिसके जांच के लिए कपल को मिनिमम 2 वीक का टाइम दिया जाता है, जिसके बाद ही  प्रेगनेंसी कन्फर्मेशन की जाती है। आईवीएफ प्रोसेस से जन्म लेने वाले बच्चों को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।

आईवीएफ का प्रोसेस कैसे होता है?

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि आईवीएफ को प्रक्रिया को कंप्लीट होने में कम से कम 14 दिन लगते हैं, लेकिन आईवीएफ का ये पूरा प्रोसेस कैसे होता है, आइये स्टेप बाय स्टेप इसे समझते है :

1. डॉक्टर कंसल्ट – आईवीएफ कपल को सबसे पहले डॉक्टर से कंसल्ट करने की जरूरत होती है। डॉक्टर इस दौरान कपल के मेडिकल हिस्ट्री, उनके हेल्थ और ऐज से रिलेटेड सारी जानकारी जानने के बाद ही उन्हें आईवीएफ के लिए सजेस्ट करते हैं।

2. ओवेरियन स्टिमुलेशन – ये वो प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सिंथेटिक हारमोंस ट्रीटमेंट के द्वारा महिलाओं के ओवरी को एक से अधिक एग को जनरेट करने के लिए एक्साइटेड किया जाता है। आपको बता दे इसमें एक से ज्यादा एग इसलिए चाहिए होते है क्योंकि कुछ एग फर्टिलाइजेशन प्रोसेस के बाद नॉर्मल तरीके से डेवलप नहीं हो पाते हैं। जनरली इसके लिए लगभग 2 वीक तक का टाइम लग सकता है, जिसमें महिलाओं को कई सारी दवाईयां और अलग-अलग टेस्ट कराने होते हैं, ताकि ये पता किया जा सके कि एग को महिलाओं के बॉडी से कब बाहर लिया जा सकता है।

3. ओवरी से एग को बाहर निकालना – ज़ब सिंथेटिक हार्मोन ट्रीटमेंट के बाद महिलाओं का ओवुलेशन पीरियड स्टार्ट हो जाता है, तब लगभग 36 घंटे बाद ओवरी से एग निकालने के प्रोसेस को कंप्लीट किया जाता है, इस दौरान महिलाओं को बेहोश कर ट्रांस वजाइनल  अल्ट्रासाउंड की मदद से महिलाओं की वजाइना में इंजेक्शन को इंजेक्ट करके एग को बाहर निकाला जाता है और फ्रीज़ किया जाता है। 

4. स्पर्म कलेक्शन – इसमें पुरुष पार्टनर को मास्टरबेशन की मदद से स्पर्म जनरेट करके कलेक्ट करने को कहा जाता है। पुरुषों के सीमेन को लैब में साफ करके एक्टिव और इनएक्टिव स्पर्म को अलग किया जाता है।

5. फर्टिलाइजेशन प्रोसेस – ज़ब महिला का एग और पुरुष का स्पर्म कलेक्ट हो जाते हैं, तब पेट्री डिश में महिलाओं के एग के ऊपर एक्टिव स्पर्म को रखा जाता है और इसे नेचुरल तरीके से फर्टिलाइजर होने के लिए छोड़ दिया जाता है। यदि पुरुषों का स्पर्म क्वालिटी अच्छा होता है, तो इस प्रोसेस से ये जल्दी ही फर्टिलाइजर हो जाते हैं, लेकिन यदि पुरुषों का स्पर्म क्वालिटी अच्छा नहीं होता है या पुरुषों में लो स्पर्म काउंट होता है, तब इंट्रा साइटो प्लाज्मीक स्पर्म इंजेक्शन के द्वारा स्पर्म को एग में इंजेक्ट किया जाता है। फर्टिलाइजेशन के लगभग तीसरे दिन तक भ्रूण तैयार हो जाता है। 

6. गर्भाशय में भ्रूण का ट्रांसफर – फर्टिलाइजेशन के 2 से 5 दिन बाद इस प्रोसेस को आईवीएफ डॉक्टर द्वारा पूरा किया जाता है। ये प्रोसेस जनरली पेन फ्री होता है,  लेकिन इस दौरान महिलाओ को बॉडी में थोड़ा खिचांव सा महसूस हो सकता है। डॉक्टर एक लचकदार नली के कैथेटर के द्वारा पेट्री डिश के भ्रूण को महिलाओं के गर्भाशय में ट्रांसफर करते हैं। इस प्रोसेस के कंप्लीट होने के 2 वीक  बाद प्रेगनेंसी कंफर्मेशन क़ी जांच की जाती है। 

आईवीएफ का खर्च क्या है?

भारत आईवीएफ प्रोसेस में लगभग ₹50हज़ार से लेकर 1.50 से 2 लाख तक का खर्च आता हैं। जो पुरुष और महिलाओं के हेल्थ इश्यू के साथ हॉस्पिटल और शहर पर भी डिपेंड करता है। 

आईवीएफ की जरूरत कब पड़ती है?

पुरुष या महिलाएं दोनों में से जब कोई एक बच्चे को जन्म देने के लिए रिस्पांसिबल नहीं हो पाते हैं, तब  ऐसे कपल को आईवीएफ कराने की जरूरत पड़ती है। आइये कुछ ऐसी कंडीशन को समझते हैं, जिनकी वजह से कपल को आईवीएफ की तरफ आते है –

1. फैलोपियन ट्यूब का डैमेज होना – प्रेगनेंसी के दौरान फैलोपियन ट्यूब बहुत इम्पोर्टेन्ट रोल प्ले करता है, जो गर्भाशय के दोनों तरफ होता है। आपको बता दे कि महिलाओ में ओवुलेशन पीरियड के दौरान इसी  फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से अंडाशय से एक निकालकर गर्भाशय तक जाते हैं और इसी फैलोपियन ट्यूब में एग, स्पर्म के साथ फर्टिलाइजेशन के प्रोसेस को कम्पलीट करता है, लेकिन किसी वजह से यदि इस फैलोपियन ट्यूब में कोई जमाव सूजन या ब्लॉकेज हो जाते है, तब फर्टिलाइजेशन का प्रोसेस कंपलीट नहीं हो पाता है। 

2. ओवुलेशन डिसऑर्डर – कुछ महिलाओं में ओवुलेशन बहुत कम या लगभग ना के बराबर होता है, जो एग के प्रोडक्शन को इफ़ेक्ट करता है, इसलिए उन महिलाओं के फर्टिलाइजेशन प्रोसेस में प्रॉब्लम होता है।

3. एंड्रोमेट्रियोसिस – ये महिलाओं के साथ होने वाली एक आम हेल्थ प्रॉब्लम है, ज़ब टिशु गर्भाशय के अस्तर के टिशु के समान होते हैं और जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब के बाहर बढ़ने लगते है, तब ये प्रेगनेंसी की पूरी प्रक्रिया को इफेक्ट करते हैं।

4. गर्भाशय फाइब्रॉयड – जनरली 30 से 50 साल की महिलाओं में ये प्रॉब्लम देखने को मिलती है, फाइब्रॉयड महिलाओं के गर्भाशय में पाए जाने वाला ये एक ट्यूमर है, जो गर्भाशय के आकार को बड़ा करने के साथ डैमेज भी कर सकता है। गर्भाशय इफेक्ट होने से प्रेगनेंसी कंसीव करने में प्रॉब्लम होता है।

5. लो स्पर्म काउंट – पुरुषों का स्पर्म काउंट का काफी कम होना या फिर स्पर्म का अच्छी क़्वालिटी में नहीं होना भी एग और स्पर्म के फर्टिलाइज नहीं हो पाने के लिए रिस्पांसिबल होते हैं।

       इसके अलावा शुगर, थायराइड, कैंसर जैसे कई क्रोनिक बीमारी और जेनेटिक डिसऑर्डर भी प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पाने के लिये जिम्मेदार होते है। 

तो दोस्तों,  आज के कुछ सीखे आर्टिकल में हमने आपको बताया आईवीएफ कैसे होता है? आईवीएफ से जुड़ी और कोई जानकारी है आप चाहते हैं, तो कमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जरूर शेयर करें।

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