सरकारी विभाग से कोई जानकारी लेनी हो, तो घंटों विभाग के चक्कर नहीं काटने होंगे। बस आपको अपने अधिकार पता होने चाहिए। लोकतंत्र भारत में सरकारी विभागों के पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्र के सभी नागरिकों के लिए आरटीआई एक्ट 2005 को लाया गया है। आज के “कुछ सीखे” लेख में हम आपको आरटीआई एक्ट क्या है और आरटीआई के अंदर क्या क्या आता है? इसके बारे में विस्तार से बताने आए हैं।

 आरटीआई एक्ट 2005 क्या है?

      भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 19 के एक भाग में सूचना के अधिकार को शामिल किया गया है। जिसे 2005 में सूचना के अधिकार अधिनियम ( आरटीआई एक्ट ) के तहत लागू किया गया है। इसे राइट टू इनफार्मेशन एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।  यह अधिनियम जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू किया गया है। 

       भारत सरकार द्वारा इस एक्ट को लाने का मुख्य उद्देश्य सरकारी विभागों को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाना और सरकारी के क्रियाकलापों की पूरी जानकारी आम जनता के सामने लाना है।  साधारण शब्दों में कहें तो सरकारी विभागों में आम नागरिकों से संबंधित किए जाने वाले कार्यो की  जानकारी कोई भारत का नागरिक प्राप्त कर सकता है। इस एक्ट के दायरे में आने वाले सभी विभाग आम नागरिक द्वारा मांगी गई जानकारी को देने के लिए बाध्य होगा। 

 आम नागरिक को आरटीआई से क्या फायदा है?

आरटीआई एक्ट के तहत प्रत्येक नागरिक को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।

आम नागरिक सरकारी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर सकता है।

वह किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी सार्वजनिक जानकारी प्राप्त कर सकता है, फिर चाहे वो उसके निजी हित में हो या ना हो।

 आरटीआई एक्ट में कुल कितनी धाराएं हैं?

     आरटीआई एक्ट के अंतर्गत कुल 6 अध्याय और 31 धाराएं ( सेक्शन ) और 2 अनुसूचियां है। आरटीआई एक्ट में सेक्शन 8(1 ) कोई भी सूचना अधिकारी देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो, ऐसी जानकारी उपलब्ध नहीं कराएगा। 

 आरटीआई के दायरे में कौन-कौन आता है?

        अगर आप आरटीआई के अंदर क्या-क्या आता है?, इसके बारे में डिटेल जानकारी ढूंढ रहे हैं तो यहां हम आरटीआई के दायरे में आने वाले विभाग के बारे में बता रहे हैं। आरटीआई के दायरे में आने वाले विभाग मे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल,  मुख्यमंत्री के दफ्तर, संसद, सभी राज्य सरकार के  विधान सभा व विधान मंडल, सेना के तीनों अंग, सभी न्यायपालिका, चुनाव आयोग,  सभी पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, सभी सरकारी दफ्तर, आरबीआई और सरकारी बैंक, सरकारी अस्पताल,सरकारी बोर्ड, सरकारी बीमा कंपनी, सरकारी संचार कंपनी, पुलिस स्टेशन और सरकार से फंडिंग करने वाले एनजीओ, सरकारी फंड लेने वाली सभी प्राइवेट कंपनियां शामिल है। ऐसे सभी विभाग, जो सीधे तौर पर जनता के लिए में काम करते हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या आरटीआई के दायरे मेंआता है?

यदि आरटीआई के अंतर्गत मरीज की मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलआर), पोस्ट मॉर्टम और डेथ समरी रिपोर्ट की मांग की जाती है, तो लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के द्वारा सम्बंधित दस्तावेजों को आदेवक को उपलब्ध कराने से इनकार किया जा सकता है, क्योंकि रोगी की संबंधित जानकारी व्यक्तिगत और गोपनीय प्रकृति की है और रोगियों से संबंधित जानकारी अस्पताल के साथ गोपनीय जानकरी के अंतर्गत आती है, जिसे आरटीआई की धारा 8(1)(ई) के तहत छूट प्राप्त है। रोगियों से संबंधित जानकारी में मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलआर), पोस्ट मॉर्टम और डेथ समरी रिपोर्ट विश्वास की स्थिति को दर्शाता है। ऐसे संबंध की एक अन्य महत्वपूर्ण बात ये है कि जब तक  एक बड़े सार्वजनिक हित को नहीं दिखाया जाता है, तब तक इसप्रकार की सूचना को प्रकटीकरण से छूट दी जाती है।

निजी बैंक आरटीआई चौकट मे आते है?

निजी बैंक सीधे तौर पर सूचना के अधिकार के अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं, क्योंकि सूचना का अधिकार अधिनियम सरकारी बैंकों पर लागू होते हैं। यदि निजी बैंकों की जानकारी चाहिए हो, तो आरबीआई के अंतर्गत सूचना का अधिकार अधिनियम लगाकर उससे संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

 आरटीआई एक्ट के अंतर्गत क्या नहीं आता है?

   ऐसे विभाग, जो कि पूरे देश के रक्षा पर आधारित होते हैं और जिनकी जानकारी लिक करने पर राष्ट्र के हित को खतरा हो सकता है। उन्हें आरटीआई से बाहर रखा गया है। इसके अंतर्गत सभी खुफिया एजेंसी की जानकारी और दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामलों की जानकारी शामिल है।

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 से किसी सरकारी विभाग में काम कर रहे,  थर्ड पार्टी या सभी निजी संस्थानों की जानकारी को बाहर रखा गया है, क्योंकि इससे व्यक्तिगत हानि होने की आशंका है। यदि संबंधित निजी विभागों की जानकारी सरकारी कार्यालयों में उपलब्ध है, तो आरटीआई के तहत सरकारी कार्यालय से उनकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 आरटीआई के अंतर्गत शिक्षा विभाग तो शामिल है, लेकिन सरकारी स्कूल कॉलेजों को इससे बाहर रखा गया है। यदि स्कूल कॉलेज के बारे में कोई जानकारी प्राप्त करनी हो, तो शिक्षा विभाग से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगनी होगी। 

 ऑनलाइन /ऑफलाइन आरटीआई के लिए कैसे अप्लाई करें?

    आरटीआई एक्ट 2005 के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित मंत्रालय, कार्यालय और विभागों मे उच्च से निम्न स्तर तक एक पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर ( पीआईओ )  नियुक्त किया गया है। कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए  पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर को निर्धारित चालान 10 रूपये के साथ एक आवेदन देकर इच्छित जानकारी मांगी जाती है।

    एक बात ध्यान देने वाला है कि कुछ खास मामलों में धारा 8 के तहत सभी सरकारी दफ्तरों को सूचना देने में  छूट दिया गया है।

 आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई जानकारी के लिए ऐसे करें आवेदन –

किसी भी पोस्ट ऑफिस में जाकर निर्धारित आरटीआई काउंटर पर फीस और आवेदन जमा कर सकते हैं। इसके बाद पोस्ट ऑफिस की जिम्मेदारी होगी, कि वो संबंधित विभाग तक आपके को आवेदन पहुंचाए।

 ₹10 के स्टांप पेपर या डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल आर्डर या फिर ₹10 नगद के साथ आप किसी भी सरकारी ऑफिस में खुद जाकर खुले लिफाफे में आवेदन को जमा करा सकते हैं।

 संबंधित विभाग के वेबसाइट पर जाकर आरटीआई लिंक को खोल कर आवेदन के फॉर्म को भर कर स्टांप पेपर / डिमांड ड्राफ्ट/पोस्टल ऑर्डर/नगद के साथ अपने लिखे गए आवेदन को स्कैन करके सबमिट करें।

 डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल आर्डर पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर के नाम पर होना चाहिए। साथ ही डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल आर्डर के पीछे की ओर अपना नाम और पता भी लिखा होना चाहिए।

 यदि कोई व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आता हो और वह सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी चाहता हो, तो उसे फीस नहीं देनी होगी। उसके बदले उसे बीपीएल कार्ड की प्रतिलिपि लगानी होगी।

 आरटीआई एक्ट के तहत दिए जाने जानकारी से संबंधित अतिरिक्त फीस –

     यदि आप आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगना चाहते हैं, तो केवल ₹10 के अलावा भी मांगी गई जानकारी के साथ अतिरिक्त फीस का प्रावधान है। यदि आरटीआई आवेदन पर विभाग द्वारा जानकारी फोटो कॉपी के साथ दी जाती है, तो प्रत्येक पेज फोटोकॉपी के ₹2 लिए जाते हैं। यदि जानकारी आवेदक जाकर खुद देखना चाहता हो, तो पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं ली जाएगी, लेकिन इसके बाद के प्रत्येक घंटे की फीस ₹5 होंगे। आवेदक को जानकारी सीडी में प्राप्त करनी है, तो इसके लिए पूर्व मे ₹50 जमा करना होगा।

 आरटीआई एक्ट में मांगी गई जानकारी की समय सीमा

     यदि कोई भी अपने नागरिक आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगता हो, तो विभाग को उसको 30 दिन के अंदर जानकारी उपलब्ध करानी होती हैं। साथ ही जीवन और सुरक्षा के मामले में जानकारी 48 घंटे के अंदर दे देनी होती है। थर्ड पार्टी या निजी कंपनियों के मामले में 45 दिन का समय दिया जाता है। यदि विभाग द्वारा दी गई जानकारी से आम नागरिक सेटिस्फाई नहीं है, तो आवेदक वह उच्च स्तर पर इसकी अपील कर सकता है। सही सूचना नहीं देने पर दोषियों के लिए सजा का प्रावधान भी आरटीआई एक्ट के तहत किया गया है।साथ ही समय सीमा के भीतर काम नहीं होने पर ₹25,000 तक का जुर्माना पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर के ऊपर हो सकता है। यदि आवेदक फर्स्ट इंफॉर्मेशन ऑफिसर से संतुष्ट नहीं है तो उस विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं, इसके बाद भी निवारण नहीं होने पर आवेदक केंद्र के इनफार्मेशन कमीशन के पास जा सकते हैं।

      तो आज के “कुछ सीखे” लेख में हमने आपको आरटीआई एक्ट क्या है और आरटीआई के अंदर क्या-क्या होता है?, इसके बारे में पूरी जानकारी दी है। अगर लेख आपको पसंद आई हो, तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर लिखें। साथ ही इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि और लोगों को भी इसकी जानकारी मिल सके।

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[…] आरटीआई के अंदर क्या-क्या आता है? […]

ट्रैफिक पुलिस चालान नियम क्या है? - कुछ सीखे · 22/11/2022 at 4:57 pm

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